
मुजफ्फरपुर,कई जिलों में बेहतर सिंचाई व्यवस्था के लिए पांच दशक पूर्व बनी तिरहुत नहर परियोजना अतिक्रमण और विभागीय लापरवाही की भेंट चढ़ती नजर आ रही है। फेज-दो का निर्माण कार्य पूरा करने के लिए अभी और पांच दर्जन बड़े पक्का मकान तोडऩे होंगे। ये मकान नहर के लिए अधिग्रहण की गई जमीन पर बना लिए गए हैं। मुजफ्फरपुर के मुरौल एवं सकरा और समस्तीपुर के पूसा, ताजपुर एवं सरायरंजन प्रखंड के विभिन्न गांवों में बने हैं। इन मकान को हटाने के लिए सिंचाई सृजन, जल संसाधन विभाग मोतिहारी के मुख्य अभियंता विजेंद्र कुमार राय ने डीएम प्रणव कुमार को पत्र भेजा है। इसमें पक्का मकान हटाने के साथ स्थानीय लोगों के विरोध पर भी नियंत्रण कराने का आग्रह किया है। मुख्य अभियंता के पत्र पर डीएम ने एसडीओ और डीएसपी पूर्वी को आवश्यक कार्रवाई का निर्देश दिया है।
1974 में हुआ था जमीन का अधिग्रहण
मालूम हो कि पश्चिम चंपारण के वाल्मीकिनगर से मुजफ्फरपुर के महमदपुर गोखुल तक 241 किमी तिरहुत नहर का निर्माण हो चुका है। दूसरे चरण में महदमपुर गोखुल से समस्तीपुर के दलङ्क्षसहसराय तक निर्माण बाकी है। वर्ष 1974 में नहर के लिए जमीन का अधिग्रहण तो किया गया, मगर वर्षों तक काम नहीं होने से लोगों ने अतिक्रमण शुरू कर दिया। स्थिति यह हो गई कि जमीन की खरीद-बिक्री और जमाबंदी भी कई स्तर तक हो गई। इसपर बड़ी संख्या में बड़े पक्के मकान बना लिए गए हैं।
कार्य पूरा करने की तिथि भी खत्म
मुख्य अभियंता के पत्र के अनुसार निर्माण कार्य में तीन एजेंसियों को लगाया गया है। इनमें से एक बालाजी इंटरप्राइजेज की तिथि 31 मार्च 2018 को ही समाप्त हो गई है। जबकि एजेंसी ने 89 प्रतिशत कार्य ही पूरा किया है। 50 मीटर की लंबाई में मुरौल प्रखंड के मीरापुर उर्फ गोपालपुर मुरौल में पांच पक्का मकान हैं। दूसरी एजेंसी ङ्क्षलक्स प्राइवेट लिमिटेड को 21 मार्च 2019 को कार्य पूरा करना था। अतिक्रमण और स्थानीय विरोध के कारण उसने महज 60.22 प्रतिशत कार्य ही पूरा किया है। मुरौल प्रखंड के ही सादिकपुर मुरौल, हरङ्क्षसगपुर लौतन में नौ पक्का मकान नहर की जमीन पर बने हैं। वहीं इटहा रसूलनगर में अतिक्रमणकारी भूमि अधिग्रहण का मुआवजा नहीं मिलने का दावा कर रहे हैं
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