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पार्षदो के खेमेंबाजी से त्रस्त मुजफ्फरपुर की जनता क्यों कह रही राम मिलाईन जोड़ी एक अंधा एक ....

Ali Haider

मुजफ्फरपुर, चार साल के वनवास के बाद नगर विधायक विजेंद्र चौधरी एक बार फिर नगर निगम के किंग मेकर बन गए हैं। राकेश कुमार की जीत में उनकी अहम भूमिका रही। महापौर की कुर्सी मिलते ही राकेश ने सबसे पहले नगर विधायक के आवास पर जाकर उनके चरणो में लोट गये दंडवत होकर आशीर्वाद लिया।

विजेंद्र चौधरी 2002 से लगातार डेढ़ दशक तक नगर निगम की राजनीति के किंग मेकर थे। 2002 में समीर कुमार, 2007 में विमला देवी तुलस्यान व 2012 में वर्षा सिंह को महापौर बनाने में उनकी भूमिका थी। 2017 में सुरेश कुमार को मेयर बनाने का श्रेय विधान पार्षद दिनेश सिंह और पूर्व महापौर समीर कुमार को मिला था। साथ होने के बाद भी विजेंद्र चौधरी को यह श्रेय नहीं मिला और उनको निगम की राजनीति से वनवास को बाध्य कर दिया था। जब से वह निगम की राजनीति से दूर थे। हालांकि उन्होंने 2019 में सुरेश कुमार को दोबारा महापौर बनाने में भूमिका निभाई, लेकिन निगम में उनका हस्तक्षेप नहीं चल पाया। अविश्वास प्रस्ताव में सुरेश कुमार की हार में नगर विधायक और उप महापौर मानमर्दन शुक्ला के गठबंधन ने अहम भूमिका निभाई। राकेश कुमार की जीत में एक बार फिर उन्होंने अहम भूमिका निभाई है और वे फिर से निगम के किंग मेकर बन गए हैं पूरे शहर में सरांध से बजबजाते कचरे का अंबार लगा है निगम के कर्मी नाले से कीचड़ निकाल कर सड़क पर फैला दे रहे है डेंगू चिकनगुनिया हैजा मच्छर गंदगी से मुजफ्फरपुर वासी हलकान है लेकिन पार्षद विधायक मेयर उपमेयर सब अपने अपने रसूख पावर खजाना बनाने में लगे है जनता के दिक्कतों से किसी को लेना देना नही है मुजफ्फरपुर के नेताओं ने पब्लिक को उनके हाल पर छोड़ दिया है कुछ दिन पहले राकेश कुमार पिंटू शराब बरामदगी मामले में फरार घोषित थे अब मेयर बनाए गये है जनता किस उपलब्धि पर खुश हो।

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