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Ali Haider

बिहार में प्रतिभाएं कैसे दम तोड़ देती हैं? समझना हो तो सीतामढ़ी की उड़नपरी की हालत जानिए


सीतामढ़ी. हम अपनी प्रतिभाओं का उचित सम्मान नहीं कर पाते हैं. यह बात तब एक बार फिर तब साबित हुई जब सीतामाढ़ी की उड़नपरी की दयनीय हालत सामने आई. कई अवसरों पर बिहार का नाम रोशन करने वाली उड़नपरी फूल कुमारी की आर्थिक हालत बदतर है. फूल कुमार ने 300 मीटर दौड़ में अब तक कांस्य सिल्वर और गोल्ड मेडल जीत कर बिहार का नाम रोशन करने का काम किया है, लेकिन उसके सपनों के उड़ान में सबसे बड़ी बाधा उसकी गरीबी और तंगहाली है. इसके कारण उसके सपने साकार नहीं हो पा रहे हैं. आर्थिक समस्या से उबरने के लिए और अपने लक्ष्य को पाने के लिए फूल कुमारी लगातार प्रशासन के अधिकारियों के सामने मदद मांगती नजर आ रही हैं, लेकिन उसको कहीं से अब तक मदद नहीं मिली.

फूल कुमारी को अगर बेहतर कोच और प्रशिक्षण केंद्र में दाखिला मिल जाए तो एथलेटिक्स की दुनिया में यह और ज्यादा बेहतर प्रदर्शन करके देश और दुनिया में बिहार का नाम रोशन कर सकती हैं. लेकिन आर्थिक परेशानी फूल कुमारी के रास्ते की सबसे बड़ा बाधा साबित हो रही है.

बता दें कि फूल कुमारी ने गोहाटी में संपन्न नेशनल एथलीट में गोल्ड मेडल लाकर पूरे देश में बिहार का मान बढ़ाने का काम किया था. तीन सौ मीटर की दौड़ में फूल कुमारी को यह सफलता मिली थी. इससे पहले फूल कुमारी ने चंडीगढ़ में 400 मीटर के दौड़ में कांस्य पदक जीतने का काम किया.

सीतामढ़ी के सुरसंड प्रखंड के हरी दुलारपुर की रहने वाली फूल कुमारी के पिता मजदूरी करके अपना और अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं. तीन बहनों और दो भाई में फूल कुमारी सबसे बड़ी फूल कुमारी ने सबसे पहले 2014 में जिलास्तरीय तरंग प्रतियोगिता से अपने करियर की शुरुआत की थी. फिर उसने पीछे मुडकर कभी नहीं देखा.

कई प्रतियोगिता में जाने के लिए जब फूल कुमारी के पास बस और ट्रेन के भाड़ा नहीं होता था. लोगों ने चंदा देकर मदद करने की भी कोशिश की, पर वर पर्याप्त नहीं हुई. सीतामढ़ी के प्रशासन के अधिकारी भी जानते हैं कि फूल कुमारी खेल की प्रतिभा की धनी हैं, लेकिन इसको आज तक जो सहायता मिलनी चाहिए वो मिल नहीं सकी.

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