क्या आप जानते हैं कि बिहार में बैंक अकाउंट की खरीद-बिक्री भी होती है। एक बैंक अकाउंट 30 हजार रुपए तक में बिक जाता है। ऐसे अकाउंट भोले-भाले लोगों को झांसे में लेकर खोले जाते हैं और इनका उपयोग गैरकानूनी गतिविधियों खासकर साइबर ठगी के लिए किया जाता है। हाल के दिनाें में बिहार में ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं।शेखपुरा पुलिस की स्पेशल टीम ने साइबर फ्राड गैंग के तीन सदस्यों को नकदी और कागजात के साथ गिरफ्तार किया था। शनिवार की शाम शहर के सिनेमा रोड स्थित एक्सिस बैंक के एटीएम से रुपये निकासी करते समय पुलिस ने इन तीनों को रंगेहाथ गिरफ्तार कर लिया गया। इनकी पहचान शेखपुरा थाना के हथियावां ओपी के रसलपुर गांव निवासी मोनू कुमार, शिवम कुमार तथा सौरभ कुमार के रूप में हुई है। तीनों के पास से एक लाख 80 हजार रुपये नकदी के अलावा, एक बाइक, चार स्मार्ट फोन, चार एटीएम कार्ड, दो बैंक पासबुक, दो पैन कार्ड तथा दो आधार कार्ड भी जब्त की गई है।
गांव के लोगों को झांसे में लेकर बनाते हैं शिकार
इस गैंग कामास्टरमाइंड लखनऊ का रहने वाला बताया गया है। एसपी कार्तिकेय शर्मा ने बताया कि पकड़ा गया बदमाश गांव के लोगों को अपने झांसे में लेकर उनके नाम से बैंकों में अकाउंट खोलवाता है तथा उनके नाम से एटीएम कार्ड भी ले लेता हैं। उस बैंक अकाउंट को तीस हजार रुपये में बेच दिया जाता है। उसी अकाउंट से धंधेबाज गलत काम करते हैं। जिस खाते से ये लोग रुपये की निकासी कर रहे थे, उसे फ्रीज कर दिया गया है। खाते में अभी 3.20 लाख रुपये हैं।पटना में भी सामने आ चुका है ऐसा मामला
कुछ दिनों पहले पटना में भी ऐसा मामला सामने आ चुका है। पटना में कुछ जालसाजों ने एक फर्जी कंपनी के नाम से दफ्तर खोला। लोगों को एक फर्जी और लुभावनी स्कीम का लालच देकर उनके दस्तावेज और फोटो हासिल किए। इनका इस्तेमाल बैंक अकाउंट खोलने में किया और फरार हो गए। बिहार के गया, नवादा और नालंदा जिले में भी ऐसे ठगों का गिरोह खूब सक्रिय है।
लुभावनी स्कीमों या नौकरी के बहाने हासिल करते हैं आधार और पैन जैसी जानकारियां
इस गिरोह के ठग लोगों को लुभावनी स्कीमों या नौकरी का लालच देकर उनसे आधार और पैन कार्ड के साथ ही फोटो भी ले लेते हैं। इसके जरिए बैंकों में खाते खुलवाते हैं और इसे साइबर ठगों को बेच देते हैं। साइबर ठग ऐसे ही बैंक खातों में ठगी की रकम मंगाते हैं, जो किसी और के नाम पर होता है, लेकिन उसे आपरेट ठग ही करते हैं। अगर पुलिस इस मामले में पड़ताल भी करती है तो बैंक अकाउंट वाले तक ही पहुंच पाती है। असली ठग दूर ही रह जाते हैं।
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