मुजफ्फरपुर/ पटना : सीबीएसई के इनोवेटिव स्कूल की सूची में बिहार से एक भी निजी स्कूल शामिल नहीं है।CBSE बोर्ड द्वारा हाल में जारी इनोवेटिव स्कूलों की सूची से इसका खुलासा हुआ है। देश भर के 21 सीबीएसई स्कूलों ने इनोवेटिव केटेगरी में जगह बनाई है। इसमें ज्यादातर स्कूल दक्षिण भारत, दिल्ली, गुजरात व महाराष्ट्र से हैं। बिहार की बात करें तो राज्य का एक भी स्कूल जगह नहीं बना पाया। पहली बार सीबीएसई द्वारा इनोवेटिव स्कूल की सूची तैयार की गयी है। इसमें उन स्कूलों को रखा गया है,
जहां पर खेल, विज्ञान, स्किल डेवपमेंट, कला और बेहतर लैब हैं। पांच बिंदुओं पर स्कूलों का चयन किया गया है। बोर्ड की मानें तो बिहार के ज्यादातर स्कूलों में स्किल डेवलपमेंट की पढ़ाई नहीं होती है। इस क्षेत्र में बच्चे कुछ नया नहीं करते हैं।
इसके अलावा सैकड़ों स्कूल हैं, जहां पर खेल गतिविधियां 10 फीसदी भी नहीं होती है।
बिहार के 35 फीसदी स्कूलों में नहीं है बेहतर लैब
वहीं प्रयोगशाला की बात करें तो 35 फीसदी स्कूलों में बेहतर लैब नहीं है। बेहतर लैब नहीं होने से स्कूल में लैब की नियमित कक्षाएं नहीं होती हैं। इससे छात्र विज्ञान के क्षेत्र में कोई नया प्रयोग नहीं कर पाते हैं। शिक्षकों द्वारा विज्ञान के क्षेत्र में नवाचार पर कोई काम नहीं होता है। ज्ञात हो कि बोर्ड द्वारा इसी साल जनवरी
में स्कूलों से इनोवेटिव स्कूल के लिए आवेदन मांगे गये थे। बिहार से इसमें 543 स्कूलों ने आवेदन किया था
बिहार के 15 स्कूल बेस्ट केटेगरी में इनोवेटिव स्कूल में भले जगह नहीं मिला, लेकिन राज्य के 15 स्कूलों को बेस्ट स्कूल की सूची में जगह मिला है। इसमें सेंट माइकल हाई स्कूल, नॉट्रेडम एकेडमी, डीएवी बीएसईबी, रेडियेंट इंटरनेशनल, लोयेला हाई स्कूल, वाल्डविन एकेडमी आदि स्कूल शामिल है।सीबीएसई सिटी को-ऑर्डिनेटर राजीव रंजन ने कहा, 'इनोवेटिव स्कूलों की सूची में शामिल होने के लिए विज्ञान के क्षेत्र में अलग-अलग इनोवेशन करना पड़ता है, लेकिन कहीं न कहीं बिहार के स्कूलों में इसकी कमी है। दो साल से तो स्कूल ही बंद थे।'
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