
मुजफ्फरपुर, जिला भू-अर्जन कार्यालय की रोकड़ बही तथा बैंक विवरणी में बड़ी गड़बड़ी सामने आई है। महालेखाकार (लेखा परीक्षा) की आडिट रिपोर्ट में करीब 1.14 अरब रुपये से अधिक की गड़बड़ी पकड़ी गई है। तीन निजी बैंक खाते में अधिक गड़बड़ी है। एक सरकारी बैंक खाते में भी अंतर राशि बड़ी है। वरीय लेखा परीक्षक ने जिला भू-अर्जन पदाधिकारी को इसकी रिपोर्ट भेजी है। इसमें कई बिंदुओं पर आपत्ति उठाई गई है।
बैंक विवरणी में बड़ी राशि का अंतर
वरीय लेखा परीक्षक की रिपोर्ट के अनुसार जांच के क्रम में पाया गया कि कार्यालय में कुल 47 रोकड़ बही और 48 बैंक खाता का संधारण किया जा रहा है। इसमें सिर्फ छह रोकड़ बही बैंक खाता के अनुसार संधारित किया जा रहा था। आडिट में सामान्य रोकड़ बही तथा बैंक विवरणी में बड़ी राशि का अंतर मिला। तीन निजी बैंक में एक में मझौली-चोरौत एनएच-527सी से संबंधित खाता है।
इसमें बैंक विवरणी के अनुसार शून्य शेष राशि है। जबकि रोकड़ बही के अनुसार 28 करोड़ 52 लाख 78 हजार 503 अंकित है। इस तरह इतनी राशि का अंतर हुआ। एक अन्य निजी बैंक में हाजीपुर-मुजफ्फरपुर एनएच-77 का बैंक खाता है। इसमें भी बैंक विवरणी में शून्य है। रोकड़ बही में 50 करोड़ 44 लाख पांच हजार 920 अंकित है। इससे इतनी ही राशि का अंतर पाया गया। निजी बैंक के ही मुजफ्फरपुर-सोनबरसा एनएच-77 का खाता है। इसकी बैंक विवरणी में भी राशि शून्य है। रोकड़ बही में 26 करोड़ 57 लाख 80 हजार 139 रुपये का अंकित है। यही राशि का अंतर भी है। इसके अलावा एक सरकारी बैंक की रामबाग शाखा में मुजफ्फरपुर-सुगौली रेललाइन से संबंधित खाता है। इसमें बैंक विवरणी के अनुसार 63 करोड़ 26 लाख 10 हजार 251 रुपये शेष है। रोकड़ बही में यह राशि 53 करोड़ 82 लाख 35 हजार अंकित है। इस तरह नौ करोड़ 43 लाख 75 हजार 251 रुपये का अंतर मिला। एक सरकारी बैंक खाते में अंतर राशि शून्य एवं एक में 531 रुपये है।
किस खाते में किस परियोजना की राशि, पता नहीं
वरीय लोक परीक्षक ने कहा कि रोकड़ बही की राशि बैंक से ज्यादा थी। इस बारे में कार्यालय के लेखापाल सह रोकड़पाल ने बताया गया कि उक्त तीनों खाता लिमिट खाता है। इसमें जमा करने वाली एजेंसी ही शेष राशि को वापस ले लेती है। इससे संबंधित कोई साक्ष्य संचिकाओं में उपलब्ध नहीं था। जांच में यह भी पाया गया कि सहायक रोकड़ बही से व्यय के लिए कार्यालय में संधारित किसी भी बैंक से आहरण कर व्यय किया जा रहा था।
इस कारण बैंक खाते एवं सहायक रोकड़ बही के लेन-देन की लेखा परीक्षा नहीं की जा सकी। यह भी पता नहीं किया जा सका कि किस बैंक खाता में किस परियोजना की राशि है।
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