कहानियों मे हमसबने डाकुओं को अंत मे संत बनते सुना था अब ठीक उसके उलट घटनाएं समाज मे घट रही है मुजफ्फरपुर में हुए खौफनाक डबल मर्डर कांड जिसमे एक बेटे ने अपने बुजुर्ग माँ-बाप को सिलेंडर से कूच कर फिर धारदार हथियार से गला रेत दिया था इस मामले के आरोपी के मानसिक स्थिति की कहानी उसके मामा ने बताई है।
मृतक शंभू सहनी और उसकी पत्नी शारदा देवी की हत्या के बाद आरोपी अजय शव के पास करीब दो घंटे तक बैठा रहा। आरोपी के मामा हरि सहनी ने बताया कि अजय को पढ़ाने के लिए काफी रुपया खर्च किया गया। उसे दिल्ली तक भेजा गया। घर में सबसे ज्यादा वही पढ़ा-लिखा है। तीन भाइयों में यह दूसरे नंबर पर था। एक बहन भी है, जिसकी शादी हो चुकी है। आरोपी अजय के अन्य दोनों भाई बाहर रहते हैं। बड़ा भाई पूरे परिवार के साथ कोलकाता में रहता है। छोटा भाई गोवा में जॉब करता है। उसकी पत्नी और बच्चे दादा-दादी के साथ रहते थे।
मामा के अनुसार 2-3 साल से देश दुनिया की समस्याओं का असर उनके भी परिवार पर पड़ा आरोपी अजय के माता पिता और बड़ा भाई पढ़ने लिए लिखने सबसे तेज अपने भाई को CA बनाना चाहते थे अजय ने जैसे तैसे एकाउंट्स मे ग्रेजुएशन भी कर लिया उसके बाद परिवार की आर्थिक स्थिति चरमरा गई बड़े और छोटे भाई ने अपने बीबी बच्चों के जरूरत को वरियता देना ठीक समझा मझला भाई अजय धीरे धीरे अपने पढ़ाई मेहनत और CA बनकर अपने पूरे परिवार के अच्छे दिन वापस लाने के सपने को आखरी समय मे टूटते बिखरते देख पहले परेशान हुआ फिर दुखी हुआ उसके बाद चिड़चिड़ा बनते बनते मानसिक तनाव के साथ इतना पागल हो गया की अंत मे 2000 रु के लिये माँ बाप को निर्दयतापूर्वक मार डाला।
हलांकि परिवार के हालात को देखकर वो कभी ज्यादा पैसा नहीं मांगता था ना ही उसकी कोई बुरी लत थी लेकिन बुजुर्ग माँ बाप के लिये बीस 22 हजार रुपये भी CA जैसी महंगी पढ़ाई के दे पाना असंभव हो चुका था बड़ा भाई अपने परिवार का ही खर्च उठाने मे मुश्किल की दुहाई देता।
ऐसी स्थिति मे वह दिमागी संतुलन खो बैठा रांची मे कुछ दिन पहले उसका ईलाज कराया गया था।
इस दिल दहला देने वाली घटना से किसी पर सहानुभूति रखना शायद बेकार हो लेकिन जरूरी नहीं की ऐसी परिस्थिति किसी और के साथ ना हो रही हो और भविष्य मे ऐसी घटना दुबारा ना हो इसके लिये एक सभ्य समाज होने के नाते बहुत कुछ किया जाना संभव है।
किसी बच्चे को हैसियत से बड़े सपने दिखाकर बीच मझधार मे अकेला मत छोछ़िये।
जिम्मेदारी सिर्फ माँ बाप की नहीं रिश्तेदार पड़ोसी समाज प्रशासन की भी होती है हम सब मिलकर थोड़ा थोड़़ा भी अपने फर्ज को निभाने लगे तो निस्संदेह अनगिनत लोग अपराधी बनने से बचेंगे और उनके सपने पूरे होगें तो अपने आदर्श देश के आजादी के लिये शहीद हुए वीरों के सपनो के देश भारत के निर्माण मे योगदान दे पाएंगे।
कांश कोई संस्था विभाग संगठन या रिश्तेदार इस युवक के जायज जरूरत को पूरा कर सकता तो 3 जिंदगी बरबाद होने से बच सकती थी।
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