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बिहार में बेकाबू हुआ अपराध का ग्राफ 182 दिनो मे 1303 लोगो का मर्डर अपराधी तय कर रहे मौत की तारीख

Ali Haider

बिहार मे बेखौफ अपराधी हर दिन औसतन 7-8 मर्डर कर फैला रहे दहशत


बिहार में अपराध का ग्राफ तेजी से बेकाबू हो रहा है। पुलिस के आंकड़े इस बात की गवाही कर रहे हैं। इससे यह बात साफ है कि अपराधी संक्रमण आपदा से भी खतरनाक हो गए हैं। RTI में बिहार पुलिस ने मर्डर का जो आंकड़ा दिया है, वह काफी शॉकिंग है। राज्य में बढ़े अपराध के ग्राफ को लेकर पटना हाईकोर्ट के अधिवक्ता मणिभूषण प्रताप सेंगर ने बिहार पुलिस से हत्या का पूरा डाटा मांगा था। इसके जवाब में बिहार पुलिस मुख्यालय ने बताया है कि एक अगस्त 2021 से 31 जनवरी 2022 के बीच बिहार में 1303 लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया है।

663 थानों में 182 दिन में बहा खून

पुलिस मुख्यालय से मिली जानकारी में इस बात का उल्लेख है कि 182 दिनों में 663 थानों में अपराधियों का खूनी खेल होता रहा है। पुलिस के ही आंकड़ों की बात करें तो संक्रमण की दूसरी लहर के बाद अचानक से बढ़े अपराध के बेतहाशा बढ़े ग्राफ सुरक्षा पर गंभीर सवाल हैं। पुलिस के ही आंकड़े बता रहे हैं, एक दिन में 7 से ज्यादा मर्डर हुए हैं। फरवरी मार्च और अप्रैल 2022 में तो अपराध का ग्राफ तेजी से बढ़ गया है। राजधानी पटना अशांत हो गई है। पटना सिटी में हुई हत्या ने व्यापारियों से लेकर आम लोगों की नींद उड़ा दी है। व्यापारियों ने सुरक्षा को लेकर पुलिस से मांग की है, नहीं तो बिहार में कोरोबार के खतरे में पड़ने की बात भी कही है।

38 जिलों में अपराध में टॉप पर पटना

बिहार के 38 जिलों में हुए मर्डर में पटना टॉप पर है। राजधानी में आए दिन हो रही घटनाएं सुरक्षा पर सवाल कर रही हैं। रामनवमी के दिन भी पालीगंज में अपराधियों की गोली से कारोबारी की जान गई है। पटना सिटी में एक माह में आधा दर्जन हत्या हुई है। बिहार पुलिस मुख्यालय से जो जानकारी दी गई है उसमें यह साफ किया गया है कि बिहार में हो रहे मर्डर में पटना टॉप पर है। पटना में सिटी का इलाका ऐसा है जहां पुलिस अपराधियों पर नकेल कसने में फेल हो रही है।

अपराधी मौत की तारीख तय कर रहे हैं। कब कहां किसे शूट कर दें, कोई भरोसा नहीं। कोई पुरानी अदावत में जान गंवा रहा है तो कोई अपराध का विरोध करने पर मार दिया जा रहा है। रामनवमी पर भी अपराधियों का असलहा शांत नहीं हुआ और पालीगंज में दवा कारोबारी को मौत के घाट उतार दिया गया। बिहार में बढ़ रहे अपराध का ग्राफ कम कर पाने में नाकाम पुलिस को चुनौती पर चुनौती मिल रही है। आलम यह है कि महज 182 दिनों में अपराधियों ने 1303 लोगों को मौत की नींद सुला दिया है स्थिति चिंताजनक है।

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