अररिया : पुलिस और अभियोजन पक्ष मजबूत इच्छाशक्ति वाले हों और गुनाह करने वालों को सजा दिलाना चाहते हों तो कोई भी दोषी न्याय के फंदे से बच कर नहीं निकल सकता। बिहार के अररिया जिले में विशेष पॉक्सो अदालत ने सिर्फ एक दिन की सुनवाई में सभी गवाहों के बयान‚ बहस और आरोपी का पक्ष सुनने के बाद आरोपी को दोषी पाते हुए दिलीप यादव 48 वर्ष को उसी दिन शाम को अंतिम सांस तक आजीवन कारावास और 50 हजार जुर्माने की सजा सुना कर प्रशंसनीय काम किया है साथ ही पीड़ित के परिवार को 7 लाख सरकारी मुआवजे का आदेश दिया।
ऐसे वक्त में जब पॉक्सो एक्ट के तहत हाल के कुछ फैसलों ने जनमानस को झकझोर दिया हो‚ अररिया अदालत का फैसला विधायिका‚ न्यायपालिका और कार्यपालिका सबकी आंखें खोल देने वाला है। देश में एक दिन में सजा सुनाने का यह पहला मामला है। इस मामले में अभियोजन पक्ष और स्थानीय महिला आईओ की भूमिका विशेष सराहनीय रही‚ जिन्होंने दो माह से कम वक्त में न केवल आरोप पत्र दाखिल किया बल्कि सभी 10 गवाहों को अदालत में पेश भी किया।
अदालत ने अगले दो दिन में आरोप पत्र पर संज्ञान लेते हुए आरोप तय किए और अगली तारीख पर फैसला दे दिया। पॉक्सो के तहत सेशन स्तर की अदालत को एक साल में फैसला देना होता है। लेकिन देखा जाए तो ऐसा होता कहां है। साल दर साल अदालतों में मामले चलते रहते हैं‚ और पीडित मासूम भुगतते रहते हैं। अररिया की अदालत का फैसला तेज सुनवाई का पैमाना तय करता है। जज शशिकांत राय बधाई के पात्र हैं। इससे पहले मप्र के दतिया जिले में अगस्त‚ 2018 में रेप के मामले में सिर्फ तीन दिन में फैसला सुनाया गया था। ऐसी तेजी पुलिस और अदालतों के लिए अनुकरणीय है।
दोषी पाए जाने के दो दिन बाद ही सजा सुनाकर केस किया बंद
दरअसल,बीते शुक्रवार को अररिया जिले की विशेष अदालत के न्यायाधीश शशिकांत राय ने 48 वर्षीय दिलीप यादव को जघन्य अपराध के लिए यह सजा सुनाई है। बताया जाता है कि आरोपी को दोषी ठहराए जाने के पहले दिन ही जज ने यह आदेश सुनाया है। फिलहाल आरोपी को जिला जेल में भेज दिया गया है।
सबसे कम समय में फैसला कर अदालत ने बनाया रिकॉर्ड
बता दें कि बच्ची के साथ हुई दुष्कर्म की घटना के एक दिन बाद पीड़िता की मां ने पिछले साल 2 दिसंबर को जिले के भरगामा थाने में आरोपी के खिलाप एफआईआक दर्ज कराई थी। इसके बाद पुलिस ने मामले को गंभीरता से लेते हुए पीड़िता का फटाफट मीडिकल कराया। साथ बच्ची के बयान और आरोपी के बयान दर्ज किए गए। कम से कम दिन में अदालत के आदेश पर मामले से संबंधित सारे सबूत जुटाए गए और कोर्ट में पेश किए।
12 जनवरी को आरोपपत्र किया था दायर
बताया जाता है कि इस मामले में जिला पुलिस ने 12 जनवरी को आरोपपत्र दायर किया था। जिस पर अदालत ने 20 जनवरी को संज्ञान लिया और दो दिन बाद ही आरोप तय कर मुकदमे की कार्यवाही रिकॉर्ड समय में पूरी की। इतने कम समय में ट्रायल पूरा करने के चलते इस अदालत और न्यायाधीश की चर्चा हो रही है। हर कोई इस सुनवाई की तारीफ कर रहा है।
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