वर्ष 2020 में देश भर में सबसे अधिक बच्चे बिहार से गुमशुदा हुए हैं। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा पिछले हफ्ते जारी 2020 की रिपोर्ट में बिहार से गुमशुदा बच्चों की कुल संख्या सात हजार 291 बतायी गई है। इनमें 5938 लड़कियां और 1353 लड़के हैं।
अब तक गुमशुदा बच्चों के मामलों में मध्य प्रदेश का स्थान पहला हुआ करता था पर 2020 की रिपोर्ट जारी होने के बाद अब बिहार पहले स्थान पर आ गया है। पूरे देश में आज भी 43661 बच्चे लापता हैं। बाल अधिकार विशेषज्ञ रश्मि गुप्ता बताती हैं कि जिस राज्य में महिलाएं और बच्चे कमजोर वर्ग के रूप में जाने जाते हैं। वहां गुमशुदा बच्चों के मामले में पुलिस-प्रशासन को अपना रवैया सकारात्मक रखना होगा। गायब 7291 बच्चे हालात के मारे हैं। उनकी खोजबीन कर उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ने की जरूरत है। रिपोर्ट के अनुसार, साल 2020 में 18 वर्ष से कम उम्र के 123 बच्चे मानव तस्करी के शिकार हुए हैं। लॉकडाउन में गरीबी का फायदा उठाकर लड़कियों को ऑर्केस्ट्रा, देह व्यापार और लड़कों को बालश्रम की दलदल में धकेला गया है। इनमें 48 लड़कियां और 75 लड़के हैं। वहीं 18 वर्ष से अधिक उम्र की 54 लड़कियां और दो लड़के भी मानव तस्करी के शिकार हुए हैं। पहले बच्चों की ट्रैफिकिंग उनसे जबरिया बंधुआ मजदूरी या बाल मजदूरी करवाने के लिए की जाती थी पर 2020 की रिपोर्ट के अनुसार वेश्यावृत्ति के लिए लड़कियों की ट्रैफिकिंग की संख्या में खासा इजाफा हुआ है।रिपोर्ट के अनुसार बिहार में सबसे ज्यादा मानव तस्कर, दलाल, मानव अंग तस्कर , और मजदूरी के नाम पर जाल बिछाने वाले गिरोह सक्रिय है,हैरत की बात है की बिहार में जेडीयू बीजेपी सरकार बच्चों के रूप में देश के भविष्य मासूम नौनिहालों को सुरक्षा देने में विफल है यहां तक की बिहार से राजस्थान हरियाणा पंजाब जैसे राज्यों के लोग लडकियों को खरीद कर ले जाते है उनके साथ अनेक लोग शारिरिक मानसिक शोषण करते है प्रताड़ित करते अनेक बार लड़कियों को शादी करके एक परिवार के चार पांच लोग तक शोषण करते पाये गये और लड़कियों के साथ बंदियों से भी बदतर व्यवहार किया जाता है।लड़कियों से जबरदस्ती देह व्यापार कराये जाने के अनगिनत मामले प्रकाश में आ चुकें है। वेश्यावृत्ति के हर अड्डे पर बिहार की किशोरियों युवतियों की मौजदूगी जगजाहिर है। लड़को के अंग निकाल कर बेच दिया जाता है उनसे भीख मंगवाई जाती है। बार बार मामलों के सामने आने के बाद भी बिहार सरकार अपने 16-17 के कार्यकाल को सुशासन घोषित करती है बड़े बड़े बैनर पोस्टर से राज्य में सबकुछ दुरुस्त होने का ढ़ोल पीटने का कोई मौका नहीं छोड़ती। पिछले दिनों बिहार से चलने वाली ट्रैनो से आधी रात को युवतियों के गायब होने के भी कई मामले सामने आये थे जिनकी जांच जारी है ज्यादातर युवतियों का अब तक पता नहीं चल पाया है। अब तक अधिकारिक रूप से बिहार गुमसुदगी के मामले में देश में टॉप पर पहुंच चुका है तब देखना है सरकार की नींद कब खुलती है और अपने प्रदेश के बच्चों किशोरियों युवतियों की सुरक्षा के लिये कितना ठोस कदम उठाया जाता है।
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