
बिहार का एक गांव ऐसा है जहां हर दिन किसी न किसी वजह से दुनिया के सबसे शक्तिशाली 5 देशों की चर्चा होती ही है। वजह है कि गांव का एक परिवार, जहां 5 भाइयों के नाम इन्हीं देशों के नाम पर रखे गए हैं। यह 5 भाई इनके नाम हैं- रूस, जर्मनी, अमेरिका, अफ्रीका और जापान। चौंकिए मत और हंसिए मत। पांचों भाई अपने इन अनोखे नाम की वजह से गांव ही नहीं, आसपास के कई पंचायतों में जाने जाते हैं। इनमें दो भाई रूस और जर्मनी शर्मा का निधन हो गया है। यह सभी पश्चिम चंपारण के बगहा के सिसवा बसंतपुर पंचायत के जामदार टोला के रहने वाले हैं। इनके इस तरह के नामकरण के पीछे भी मजेदार कहानी है।

फौज में रहे चाचा ने दिया था सभी का नाम सबसे छोटे भाई जापान शर्मा बताते हैं कि इनके एक चाचा थे, अकलू शर्मा। देश की आजादी के बाद साल 1950 में वह भारतीय फौज का हिस्सा बने। उस समय फौज में बड़े देशों की खूब चर्चा होती थी। अकलू जब घर आते तब साथी-समाज के बीच इन्हीं देशों से जुड़ी चर्चा होती। उनकी कहानियां सुनाते। उसी साल 1950 में अकलू शर्मा के चचेरे भाई चंनर शर्मा के सबसे बड़े बेटे का जन्म हुआ। अकलू उस वक्त घर पर ही थे। उन्होंने भतीजे का नामकरण कर दिया- अमेरिका। इसके बाद एक-एक कर भाइयों का जन्म होता गया और देशों के नाम पर ही सबका नाम रखा जाने लगा। सबसे पहले अमेरिका (71), फिर अफ्रीका (65), तीसरे नंबर पर जर्मनी (55), चौथे नंबर पर रूस (54) और सबसे अंतिम में जापान (52 वर्ष) का नाम रखा गया। इनमें अब तीसरे और चौथे नंबर के भाई जर्मनी और रूस का निधन हो गया है। रूस की मौत 10 वर्ष पहले, तो जर्मनी की 5 वर्ष पहले हुई है।
नाम से पहचान मिली, तो परेशानियां भी हुईं सभी भाई जैसे-जैसे बड़े होते गए, इन्हें नामों की वजह से परेशानियां भी झेलनी पड़ीं। नाम को लेकर बच्चे मजाक भी उड़ाते थे। बावजूद इसके, इनके सभी कागजातों में यही नाम लिखा गया। इनके नामों को लेकर जब भी चर्चा होती है तो पीछे की एक कहानी भी लोग अपनी जुबानी सुना डालते हैं। स्थानीय लोग बताते हैं कि 35 साल पहले धुरन मिस्त्री नाम का व्यक्ति इस गांव में रहा करता था। उससे इन भाइयों का झगड़ा हो गया। झगड़ा बढ़ते-बढ़ते थाने तक पहुंच गया। धुरन मिस्त्री आवेदन लेकर थाने पहुंचे। आवेदन पर इन पांचों भाइयों का नाम देकर FIR दर्ज कराना चाहा। आवेदन पर देशों का नाम देख थानेदार भड़क गए। उन्होंने धुरन मिस्त्री को पागल समझकर थाने से खदेड़़ दिया। स्थानीय रामप्रीत शर्मा बताते हैं कि इतने सालों में इन भाइयों की लड़ाई होते किसी ने नहीं देखी। आज भी गांव में तीनों भाई इकट्ठे दिखाई दे जाते हैं। इस गांव में रिश्तेदारी में आए लोग जब इनके नामों को सुनते हैं तो मिलने का मौका नहीं छोड़ते। इनके गांव के आसपास या गांव के बारे में पूछने पर लोग अपनी हंसी नहीं रोक पाते। हंसी की वजह पूछने पर पूरी कहानी बता डालते हैं।