मुजफ्फरपुर के बोचहां विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिए तारीख का ऐलान कर दिया गया है। 2020 के चुनाव में मुजफ्फरपुर की ये सीट मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी के पास गई थी। हालांकि, यूपी चुनाव में जिस तरह से मुकेश सहनी ने बीजेपी के खिलाफ दावेदारी की और बिहार में गठबंधन के बावजूद लगातार बयानबाजी करते रहे उससे पार्टी नेतृत्व उनसे खफा है।
ऐसे में बीजेपी नेतृत्व ने उपचुनाव में बोचहां सीट (Bochahan Assembly Byelection 2022) से 'सन ऑफ मल्लाह' मुकेश सहनी के खिलाफ अपना तुरुप का इक्का चलने की तैयारी कर ली है। बीजेपी की ओर से टिकट के दावेदारों में जो नाम सबसे आगे माना जा रहा वो पूर्व विधायक बेबी कुमारी का है। जानिए कौन हैं बेबी कुमारी और इस सीट पर उनका क्या है सियासी समीकरण?
ऐसे सुर्खियों में आईं बेबी कुमारी, बन गईं बीजेपी की बड़ी नेता
बिहार की सियासत में बेबी कुमारी का नाम उस समय चर्चा में आया जब उन्होंने सूबे में बीजेपी के सदस्यता अभियान में सबसे अधिक संख्या में बोचंहा विधानसभा क्षेत्र से लोगों को पार्टी का सदस्य बनाया। सबसे अधिक सदस्य बनाने पर उन्हें स्मृति ईरानी की ओर से सम्मानित भी किया गया। इससे पहले उन्हें महिला मोर्चा कार्यसमिति के सदस्य के तौर पर काम करने का मौका भी मिला। अभी वो बिहार बीजेपी की महामंत्री हैं, इससे पहले पार्टी की प्रदेश उपाध्यक्ष भी रह चुकी हैं।
ग्रेजुएट हैं बेबी कुमारी, शादी के बाद भी राजनीति में रही हैं सक्रिय
बात की जाए बेबी कुमारी की शिक्षा की तो उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा 1991 में तुर्की छाजन के मोहनी हाईस्कूल से पास की। इसके बाद 1993 में उन्होंने महिला शिल्प कला भवन से 12वीं का एग्जाम दिया इसी दौरान 1993 में उनका विवाह उमेश प्रसाद से हुआ, जो एक बैंक कर्मी थे। शादी के बाद भी उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी और उन्होंने महिला शिल्प कला भवन महाविद्यालय से 1996 में साइकोलॉजी ऑनर्स से ग्रेजुएशन किया।
एबीवीपी के साथ जुड़कर सोशल वर्क किया
देवेंद्र चौधरी और जैलसी देवी की बेटी बेबी कुमारी अपने 5 भाई-बहनों में सबसे बड़ी हैं। बेबी कुमारी छात्र जीवन से ही एबीवीपी के साथ जुड़कर सोशल वर्क करने लगी थीं जो शादी के बाद भी जारी रहा। राजनीतिक पृष्ठभूमि से नहीं आने के बावजूद उन्होंने राजनीति में अपना मुकाम हासिल किया। उन्हें एक बेटा सौरभ चंद्रन और एक बेटी सुषमा सालवी हैं। बेटा-बेटी दोनों अभी पढ़ाई कर रहे हैं।
2015 में 9 बार के MLA रहे दिग्गज नेता रमई राम को हराया
बेबी कुमारी को सीटिंग विधायक होने के बाद भी 2020 के चुनाव में जब टिकट नहीं मिला और बोचहां सीट वीआईपी के कोटे में चली गई तो पार्टी ने उन्हें प्रदेश महामंत्री का पद दिया। बेबी कुमारी ने 2015 के चुनाव में 9 दफा से बोचहां का प्रतिनिधित्व कर रहे रमई राम को 25 हजार वोटों से शिकस्त दी थी। वो भी निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर हराया था। 2020 चुनाव में वीआईपी से मुसाफिर पासवान यहां से विधायक बने, उनके निधन के बाद बोचंहा विधानसभा सीट पर उपचुनाव कराया जा रहा। जिसमें बेबी कुमारी अपनी दावेदारी पेश कर रही हैं। यही नहीं उनकी दावेदारी के समर्थन में बीजेपी की मुजफ्फरपुर जिला ईकाई, अध्यक्ष, सांसद समेत कई बड़े नेता भी शामिल हैं।
कब कब बटोरीं सुर्खियां
◆बेबी कुमारी के बार बार रोने विलाप ने बटोरी सुर्खियां
पहली बार जब बेबी लोजपा से टिकट मिलने के लिये जी तोड मेहनत कर रही थी लेकिन टिकट नहीं मिला तो वो रो रोकर लोजपा नेताओं को श्रापने लगी रो रो कर आसमान सर पर उठा लिया कहते है उनके आंसुओं की धार में 9 बार के विधायक रमई राम बह गये जबकी बेबी कुमारी निर्दलीय प्रत्याशी थी।
◆निर्दलीय प्रत्याशी बन चुनाव मैदान में उतरने के साथ ही बेबी कुमारी को स्पीड पोस्ट से धमकी भरा पत्र मिला था. इसमें चुनाव मैदान से हटने की उन्हें चेतावनी मिली थी. इस धमकी पर प्रशासन ने उन्हें अंगरक्षक उपलब्ध कराया था और घर पर गार्ड की तैनाती की गयी थी.
◆ एक बार फिर बेबी कुमारी के खतरनाक विलाप से जनता तब रूबरू हुई जब भाजपा से टिकट मिलने की अरमान लाख कोशिशों के बाद लूट गया और भाजपा ने बोंचहा क्षेत्र में वर्तमान विधायक बेबी कुमारी के विरुद्ध जन आक्रोश और विरोध को भांपते हुए पार्टी के अंदर से ही भितरघात पुष्टि होने और सीट गंवाने के अंदेशे से बोंचहा सीट गठबंधन के अन्य दल वीआईपी के हवाले कर दिया, बेबी कुमारी ने आननफानन मे बीजेपी से ईस्तफा दे डाला बेबी कुमारी के आंसुओं ने फिर सैलाब ला दिया था वह फिर बागी हो गई खूब भाजपा को श्रापा कोसा और लोजपा से टिकट लेकर चुनाव लड़ने की घोषणा की।
◆ फिर अचानक बीजेपी मे वापसी और जयकारे लगाया और वीआईपी को बोचहां सीट दिये जाने पर राजी हो अपने आंसुओं को पोछ डाला।
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