
मुजफ्फरपुर : पिछला दो साल कोरोना संक्रमण के चलते होली का रंग भी फींका रहा लेकिन, इस बार पाबंदियों से छूट मिलने के कारण चारों तरफ जबरदस्त उत्साह का माहौल रहा सभी लोगो ने अपनी अपनी तरफ से होली को यादगार बनाया होली के मौके पर खाने-खिलाने के लिए मांसाहारी लोगो ने बकरी के मांस पर ज्यादा जोर दिया, मुर्गी का मांस भी कोई सस्ता नहीं था पर लोगों ने मुर्गा भी छक कर खाया। मुजफ्फरपुर बकरी बाजार में होली को लेकर बुधवार से लेकर शनिवार तक खूब खस्सी व बकरों की बिक्री हुई। इस बार पांच या सात लोग मिलकर एक-एक खस्सी व बकरे की खरीदारी कर रहे थे। होली के दिन सभी आपस में उसके मीट का बंटवारा कर लिया। बाजार मे बकरे की कोई कमी नहीं थी जिससे खस्सी व बकरों की बिक्री जमकर हुई। बाजार में 3 साढ़े तीन हजार से लेकर 20 हजार तक का खस्सी मौजूद रहा।

ग्राहकों की भीड़ और जबरदस्त मांग से खस्सी की कीमत इस साल आसमान छू रहा था । लेकिन, होली का उमंग कीमत पर भारी पड़ा है। एक अनुमान के अनुसार, इस हफ्ते करीब 8-10 करोड़ का व्यापार हुआ है। बकड़ी पालकों में खुशी की लहर है।कंपनी बाग मीना बाजार में व्यापार करने आए एक बकरी पालक सरैया के राजेश महतो ने बताया कि पिछले तीन साल से कोरोना के कहर की वजह से व्यापार में नुकसान हो रहा था। इस बार लोग खूब खरीदारी कर रहे हैं।सिकंदरपुर मे खरीदार विनय और मयंक ने बताया कि महंगाई तो बढ़ती ही रहेगी लेकिन होली दो साल के बाद मनाने का मौका मिला है। इस बार छुट्टी पर घर आए हैं और कोरोना का डर नहीं है। साढ़े 7 हजार में खस्सी खरीदे हैं। दोस्तों के साथ पार्टी करने का विचार है। पूरी तैयारी है।
मीट बिक्रेता साबिर ने बताया की 2 साल से धंधा चौपट था इस बार पहले की तरह लोग खरिदारी कर रहे है पूछने पर 3 दिन मे 70 बकरी की खपत बताया।पूरे जिले मे बकरी के मीट की अच्छी बिक्री से पशुपालकों ने भी खुशी जताया है बकरी फार्म व्यापारी ने बताया की बहुत कर्ज मे डूबे थे 2 साल मे घाटा बहुत हुआ लेकिन अब लगता है काम पटरी पर लौटेगा हलाकी कई किसानों ने घटा उठाकर बेचने की बात बताई बताया की एक साल पोसने के बाद अगर ग्राहक को 3-4 हजार मे बेचेंगे तो बच्चों का पढ़ाई दवाई खर्च कहां से चलेगा।
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