मुजफ्फरपुर विश्व प्रसिद्ध शाही लीची में 15 दिन बाद लाली आने लगेगी। इस बार खराब मौसम व कोरोना का प्रकोप नहीं होने से किसान के साथ व्यापारी भी उत्साहित हैं। जिले के कई प्रखंडों में अच्छे संख्या में दूसरे राज्यों के व्यापारी पहुंच रहे हैं। बागों को देखकर दूसरे राज्यों में लीची भेजने की योजना बना रहे हैं। इसके लिए स्थानीय लीची किसानों से लगातार संपर्क बनाए हुए हैं। बेंगलुरू की कंपनी के अधिकारी व कर्मी रोहुआ स्थित बाग में पहुंचे। उन्होंने लीची का दाना देखकर खुशी जताई। किसान भोलानाथ ने बताया कि
कंपनी के अधिकारियों ने कई जगहों पर लीची के बाग देखे हैं। उनकी योजना हर दिन मुजफ्फरपुर से 12 से 14 टन लीची दूसरे प्रदेश में भेजना है। लीची किसान से बातचीत करीब-करीब तय हो गई है। मई से दूसरे राज्यों में लीची भेजी जाएगी।
उधर वन डिस्ट्रिक्ट, वन प्रोडक्ट में लीची को शामिल करने के साथ ही बाजार की उम्मीद बढ़ गई है। इस कड़ी में अब बाग से सीधे हाट तक लीची को पहुंचाने की कवायद शुरू है। लीची उत्पादक संघ की पहल पर दिल्ली की फल कंपनी यहां के बागों का सर्वे करके गई है। इस साल एक हजार क्विंटल की खरीदारी का लक्ष्य तय किया गया है। अगर क्वालिटी वाली लीची मिली तो इसकी मात्रा बढ़ भी सकती है।
अगर मौसम का साथ रहा तो इस बार 80 से 90 हजार टन उत्पादन की संभावना है। दिल्ली की फ्रेश कोर प्रोविजंस प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के प्रबंधन से बातचीत की गई है। कंपनी के कंसल्टेंट जेबी सिंह कांटी, बंदरा, मुशहरी में बागों को देखकर गए हैं। योजना के मुुताबिक, लीची बाग से किसान सीधे फल
तोड़कर प्री-कूलिंग सेंटर पर लाकर देंगे। यह सेंटर कांटी व बंदरा इलाके में होगा। वहां से कोल्ड चेन वैन में लादकर लीची को बाजार में भेजा जाएगा। कांटी इलाके में एक कोल्ड स्टोरेज का भी चयन किया गया है। यहां पर स्टाक होगा। कंसल्टेंट ने बताया कि दो वर्ष पहले यहां पर आकर 40 टन लीची की खरीद की थी। कोरोना के कारण दो वर्ष नहीं आए। इस बार बेहतर फसल की संभावना है। इसके आधार पर ही लीची की खरीद की जाएगी।
अकेले मुजफ्फरपुर में ही एक लाख टन से उपड़ होता है लीची का उत्पादन
राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केन्द्र के निदेशक डा. शेषधर पांडेय ने बताया कि विश्व में लगभग 45 लाख टन लीची का उत्पादन होता है। इसमें सर्वाधिक 95 प्रतिशत उत्पादन एशिया महादेश के देशों में होता है। चीन प्रति वर्ष लगभग 31 लाख टन लीची का उत्पादन करता है। दूसरे स्थान पर भारत है। यहां प्रतिवर्ष 7.15 लाख टन लीची का उत्पादन होता है। 97 हजार हेक्टेयर भूमि में लीची की खेती होती है। बिहार में 32 हजार व मुजफ्फरपुर जिले में 12 हजार हेक्टेयर में लीची की खेती होती है। यहां एक लाख टन लीची का उत्पादन होता है। बेहतर बाजार मिले तो करीब डेढ़ लाख किसानों को फायदा मिलेगा।
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